
“जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण गोविंद गोविंद बोलो रे” एक अत्यंत मधुर और भक्ति रस से परिपूर्ण भजन है, जिसे श्री श्री टैगोर के अनुकूल चंद्र द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह भजन भगवान श्रीकृष्ण और उनकी प्रेममयी संगिनी श्रीमती राधारानी के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम को अभिव्यक्त करता है। यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक माध्यम है जो भक्त के हृदय को कृष्णभावना से जोड़ता है। राधा-कृष्ण की प्रेममयी लीलाओं में लीन होने वाले हर भक्त के लिए यह भजन अत्यंत प्रेरणादायी है। यह कीर्तन ध्यान, साधना और भक्ति के लिए भी विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है।”
कीर्तन का महत्व
इस भजन के हर शब्द में भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम का भाव प्रकट होता है। “राधे राधे” और “कृष्ण कृष्ण” जैसे नामों का जाप करने से—
- आध्यात्मिक प्रगति होती है।
- भक्त भगवान श्रीकृष्ण से एक गहरी आत्मीयता अनुभव करते हैं।
- मन और आत्मा में पवित्रता का अनुभव होता है।
- जीवन के सारे दुख-दर्द मिट जाते हैं और एक शांतिपूर्ण अनुभव प्राप्त होता है।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण लिरिक्स
भजन के लिरिक्स सरल और हृदयस्पर्शी हैं, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसके बोल नीचे दिए गए हैं:
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
राधे गोविंद गोविंद,
गोविंद गोविंद,
गोविंद गोविंद,
गोविंद गोविंद,
दयानिधि नाम जप रे।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
छोड़ दे मन कपट चतुराई,
बदन हरिया बोल हरि हरि।
छोड़ दे मन कपट चतुराई,
बदन हरिया बोल हरि हरि।
हरि नाम परम् ब्रह्म,
जीव का मूल धर्म।
हरि नाम परम् ब्रह्म,
जीव का मूल धर्म।
अधर्म कुकर्म छोड़ रे।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
त्यज रे मन भव की आशा,
अजपा नाम रखो रे दिशा।
त्यज रे मन भव की आशा,
अजपा नाम रखो रे दिशा।
गुरु गौरांग बदन बदन,
गुरु गौरांग बदन बदन,
नयन-नीर सदा बहते रे।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविंद गोविंद बोल रे।
जय राधे राधे
गोविंद जय जय।
जय राधे राधे
गोविंद जय जय।
जय राधे राधे
गोविंद जय जय।
जय राधे राधे
गोविंद जय जय।
जय राधे जय राधे जय राधे जय राधे।
जय राधे जय राधे जय राधे जय राधे।
जय राधे जय राधे जय राधे जय राधे।
जय राधे जय राधे जय राधे जय राधे।
भजन की हर पंक्ति भक्तों के हृदय को प्रेरित करती है और उनमें आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करती है।
कीर्तन करने का सही तरीका
कीर्तन करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- स्वच्छ और पवित्र वातावरण में कीर्तन करें।
- एकाग्र चित्त से भगवान श्रीकृष्ण और श्री राधारानी का ध्यान करें।
- प्रार्थना करते समय उनके महत्त्व को समझने का प्रयास करें।
- यदि संभव हो, तो पूरे परिवार के साथ मिलकर कीर्तन करें। इससे इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
कीर्तन के आध्यात्मिक लाभ
- मानसिक शांति: “जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण” कीर्तन से मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
- पापमुक्ति: यह कीर्तन पापों के नाश का मार्ग खोलता है।
- भक्ति की वृद्धि: कीर्तन से श्रीकृष्ण और राधारानी के प्रति भक्ति गहरी होती है।
- दिव्य आशीर्वाद: इस कीर्तन से जीवन में सौभाग्य और श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
“जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण” केवल एक गीत नहीं, बल्कि भगवान के प्रति भक्ति का प्रतीक है। इस कीर्तन के माध्यम से आप जीवन के सभी कष्टों को पार कर सकते हैं और श्रीकृष्ण के चरणों में अपना जीवन समर्पित कर सकते हैं।
“राधे राधे” का नाम जपें और भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय और पूर्ण बनाएं।
जय श्री राधे कृष्ण!
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*हरि हराय नमः कृष्ण यादवाय नमः अद्भुत कीर्तन भक्ति और आनंद का संगम।