तुलसी माता की आरती: तुलसी महारानी नमो नमो आरती| जानिए तुलसी आरती के लाभ

तुलसी माता की आरती: हिंदू धर्म में तुलसी (Holy Basil) को माता लक्ष्मी का रूप और भगवान विष्णु की परम प्रिय मानी जाती हैं। तुलसी जी का पूजन करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और रोगों से मुक्ति मिलती है। तुलसी विवाह, एकादशी, कार्तिक मास और विशेषतः संध्या समय तुलसी आरती का विशेष महत्व होता है।

तुलसी माता की आरती

तुलसी माता की आरती – Tulsi Maharani Namo Namo Aarti

तुलसी महारानी नमो नमो,
हरि की पटरानी नमो नमो ।।
धन्य तुलसी पूरण तप कीन्हो,
शालीग्राम बनी पटरानी नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।

जाके पत्र मंजरी कोमल,
श्री पति कमल चरण लपटानी नमो नम्ठी ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।
कौनसे महीने मे बोई रानी तुलसा,
कौनसे महीने हुई हरियाली नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।

कौनसे महीने मे हुई तेरी पूजा,
कौनसे महीने हुई पटरानी नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।
आषाढ मास मे बोई रानी तुलसा,
सावन मास हुई हरियाली नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।

कार्तिक मास मे हुई तेरी पूजा,
मगंसिर मास हुई पटरानी नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।
धूप-दीप नैवेद्य आरती,
पुष्पन की वर्षा बरसानी नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।

छप्पन भोग छत्तीसो व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी नमो नमो ।
“तुलसी महारानी नमो नमो ।।
जो कोई तुलसी को सवेरे गाए,
श्री कृष्ण जी के दर्शन पाए नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।

जो कोई तुलसी को दोपहर मे गाए,
खीर खांड का भोग लगाए नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।
जो कोई तुलसी को सांझ को गाए,
श्री कृष्ण जी की आरती उतारे नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।

जो कोई तुलसी को रात को गाए,
श्री कृष्ण जी के चरण दबाए नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो ।।
जो सखी मईया तेरा गुण गाए,
भक्ति दान दीजै महारानी नमो नमो ।
तुलसी महारानी नमो नमो,
हरि की पटरानी नमो नमो ।।


तुलसी माता का धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

तुलसी माता हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय और शुभ मानी जाती हैं। उन्हें “हरिप्रिया” कहा गया है, क्योंकि वे भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी माता का वास होता है, वहां लक्ष्मी का स्थायी निवास बना रहता है।

तुलसी का नियमित पूजन करने से घर में आर्थिक समृद्धि, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा, तुलसी के पौधे से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा पूरे घर के वातावरण को पवित्र और शांत बनाती है। इस कारण तुलसी माता का पूजन हर सनातनी परिवार में विशेष श्रद्धा के साथ किया जाता है।


तुलसी पूजन विधि

तुलसी पूजन में सबसे पहला चरण होता है तुलसी के पौधे की सही दिशा में स्थापना करना। इसे घर की पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये दिशाएँ ऊर्जा और शुद्धता का प्रतीक होती हैं। तुलसी का पौधा घर के वातावरण को पवित्र बनाता है और सकारात्मकता का संचार करता है।

दूसरे चरण में, प्रतिदिन प्रातः स्नान करके शुद्ध मन से तुलसी के पौधे में जल अर्पित करना चाहिए। जल चढ़ाने के बाद दीपक जलाकर तुलसी माता की पूजा करें। धूप और अगरबत्ती अर्पित करके वातावरण को सुगंधित और सात्विक बनाना चाहिए। इससे पूजन का महत्व और प्रभाव बढ़ता है।

अंतिम चरण में, “ॐ तुलस्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र तुलसी माता को प्रसन्न करता है और साधक को मानसिक शांति प्रदान करता है। जाप के बाद आरती करें और तुलसी माता को प्रसाद अर्पित करें। इस विधि से किया गया तुलसी पूजन घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनाता है।


तुलसी पूजन से मिलने वाले लाभ

1. रोगों से रक्षा और दीर्घायु प्राप्त होती है।
तुलसी पूजन हमारे शरीर को रोगों से बचाने में सहायक होता है। इसके नियमित सेवन या पूजन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकता है। आयुर्वेद में तुलसी को जीवनदायिनी औषधि माना गया है, जिससे दीर्घायु प्राप्त होती है।

2. मानसिक शांति और पारिवारिक कलह का नाश होता है।
तुलसी का पूजन मन को शांत करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति से वातावरण पवित्र और सकारात्मक रहता है, जिससे पारिवारिक कलह, तनाव और झगड़े समाप्त होते हैं।

3. विष्णु भक्ति में स्थिरता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। तुलसी पूजन से भक्त की आस्था दृढ़ होती है और वह भक्ति मार्ग में स्थिर रहता है। इसके माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है, क्योंकि यह भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी साधन है।

4. तुलसी विवाह करने से कन्या विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
तुलसी विवाह एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे करने से कन्या विवाह में आने वाली अड़चनों का निवारण होता है। इस पूजन से कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है और विवाह समय पर संपन्न होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह करने से पुण्य की प्राप्ति भी होती है।


तुलसी आरती का भावार्थ

“तुलसी महारानी नमो नमः” आरती में माता तुलसी को नमस्कार कर उनकी महिमा का गान किया जाता है। यह आरती भक्तों को शुद्ध भाव से भगवान विष्णु की भक्ति में जोड़ती है। इससे जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।


तुलसी माता केवल एक पौधा नहीं, बल्कि देवी स्वरूप हैं। इनकी आरती, पूजन और सेवा से जीवन में आध्यात्मिक बल, स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति मिलती है।
प्रतिदिन तुलसी की आरती करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी संकट दूर होते हैं।

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अस्वीकरण

यह लेख धार्मिक और आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई पूजा विधि, मंत्र और अन्य जानकारियाँ प्राचीन शास्त्रों, लोक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत श्रद्धा और सुविधा के अनुसार पूजा विधि अपनाएं। किसी भी प्रकार की धार्मिक क्रिया को करने से पहले योग्य पंडित या विद्वान से परामर्श लेना उचित होगा। इस लेख में दी गई जानकारी का उपयोग पाठक की स्वयं की जिम्मेदारी पर होगा।

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मैं गोपाल चन्द्र दास — सनातन धर्म में गहरी आस्था रखने वाला एक गर्वित सनातनी, साधक और समर्पित लेखक हूँ। मुझे अपनी संस्कृति, परंपरा और धार्मिक विरासत पर गर्व है। मेरा उद्देश्य है हिंदू धर्म की शुद्ध, प्रामाणिक और ग्रंथों पर आधारित जानकारी को सरल, सहज और समझने योग्य भाषा में हर श्रद्धालु तक पहुँचाना।मैं अपने लेखों के माध्यम से व्रत-त्योहारों की सही विधियाँ, पूजा-पद्धतियाँ, धर्मशास्त्रों के सार, और आध्यात्मिक जीवन जीने के मार्ग को प्रस्तुत करता हूँ — ताकि सनातन धर्म के अनुयायी बिना किसी भ्रम या संशय के सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से धर्म का पालन कर सकें।

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